चंद्रपुर,
मीनाक्षी वाळके की राखियां अब देश में लोकप्रियता हासिल कर रही हैं और पारंपरिक बांस कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के उनके प्रयास केवल तीन वर्षों में सफल रहे हैं। एक किसान की बेटी के प्रयास निश्चित रूप से उस स्थिति में प्रेरणादायक हैं जहां कला की पारंपरिक विरासत नहीं है, घोर गरीबी में जीवित रहने के लिए संघर्ष, झुग्गियों में दयनीय जीवन, अल्प शिक्षा, किसी का समर्थन नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि चंद्रपुर के बंगाली कैंप स्लम इलाके में रहने वाली बांस कलाकार और महिला अधिकारिता कार्यकर्ता मीनाक्षी मुकेश वाळके की बांस से बनी राखियां इस साल सीधे स्विट्जरलैंड, कनाडा, इंग्लैंड, सऊदी अरब और स्वीडन जाएगी। लॉकडाउन में नुकसान। सामाजिक कार्य मे रुची रख कर आवास उद्योग के रूप में श्रीमती मीनाक्षी वाळके द्वारा 2018 में केवल 50 रु से शुरुवात की थी अब काफी दाम मिल रहे है ।महिलाओं को प्रेरणादायी कार्य करने वाली सौ मीनाक्षी मुकेश वाळके इन्हें केन्द्रीय मानवाधिकार संगठन,नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. मिलिंद दहीवले द्वारा महिला रक्षा सम्मान पुरस्कार 2021 से जल्द ही चंद्रपुर शहर मे सम्मानित किया जाने वाला है ।