भ्रष्टाचार की जांच में जिला प्रशासन की उदासीन नीति

0
268

देवानंद नंदगवाली

भंडारा : भंडारा जिले के मौजा टेकेपार (माडगी) में ग्राम पंचायत के अंतर्गत विभिन्न विकास कार्यों मे भ्रष्टाचार के संबंध में जिला प्रशासन से समय-समय पर लिखित एवं मौखिक शिकायत दर्ज की गयी लेकीन स्थानिय जिला प्रशासन की ओर से दखल नही ली गई। जिला प्रशासन के उदासीन निती के कारण केंद्रीय मानवाधिकार संगठन नई दिल्ली के विदर्भ सचिव महेंद्र तिरपुड़े ने जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने आमरण अनशन किया। अनसन के सातवे दिन मा. जिलाधिकारी साहेब भंडारा द्वारा तत्काल कार्रवाई करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का लिखित आश्वासन देने के बाद अनशन समाप्त किया गया। मा. जिलाधिकारी साहाब के लिखित आश्वासन के बाद भी अनशन समाप्त हुयें 91 दिन बीत चुके हैं और 16/04/2021 को पूछताछ होकर 65 दिन बित जानेपर भी आजतक प्रशासन से जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई और ना दोषीयोंपर कोई कार्रवाई हुई। प्रशासन के उदासीन नीति के खिलाफ जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने संगठन की ओर से आमरण अनशन करने की चेतावनी दी गई है। मा. विभागीय आयुक्त नागपुर, मा. जिलाधिकारी साहेब भंडारा, मा. मुख्य कार्यपालन अधिकारी साहेब, पुलिस अधीक्षक साहेब भंडारा को तक्रार/निवेदन दिया गया।
महाराष्ट्र राज्य के जिला भंडारा के ग्राम टेकेपार (माडगी) ग्रामपंचायत में जुलाई 2019 से ग्राम पंचायत के तहत किए गए विकास कार्य पूरी तरह से घटिया और अव्यवस्थित हो गए हैं और लाखों रुपये के सरकारी धन का दुरुपयोग कर सरकार को गुमराह किया है। इसी तरह टेकेपार खुटसावरी पांदन मार्ग को अधूरे हालत में पक्की कराकर, राशि जुटाकर सरकार व प्रशासन को गुमराह किया है। मौजा टेकेपर (माडगी) में नल योजना का निर्माण अनुमान पत्र के अनुसार नहीं किया गया बल्कि पुरानी नल योजना में पानी की टंकी की मरम्मत कर नई कर दी गई थी। मार्च 2020 में मौजा टेकेपार (मडगी) में सड़क पर मोरी (पुलिया) का निर्माण बिना कांक्रीट के किया गया। मार्च 2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से आतंकित थी तब मोरी पुलीया बांधकाम में बाल श्रम रोकथाम अधिनियम का उल्लंघन कर पुलिया निर्माण में दो नाबालिग बाल श्रमिकों को लगाया गया था।
पूरे मामले की लिखित सूचना संबंधित अधिकारियों और विभाग को दी गई लेकिन राजनीतिक दबाव में संबंधित जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। और दोषी सरपंच, सचिव, अभियंता और दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
मौजा टेकेपर द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र बाबूराव तिरपुड़े (विदर्भ सचिव, केंद्रीय मानवाधिकार संगठन, नई दिल्ली) और ग्रामीणों के द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन संबंधित विभाग ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। शिकायत दर्ज होने के एक साल बाद भी प्रशासन को जाग नही आयी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मामले को दबाया जा रहा है।
जिला प्रशासन से संज्ञान नहीं लेने पर सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र बाबूराव तिरपुड़े 17 मार्च 2021 से त्रिमूर्ति चौक भंडारा स्थित जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने अनसन पर बैठे। अनसन को सातदिन बित जाने के बाद दि. 22/03/2021 को केन्द्रीय मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं एवं ग्रामीणों ने माननीय जिला कलेक्टर से मुलाकात कर भ्रष्टाचार की जानकारी दी जानेपर तत्काल मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद भंडारा द्वारा तत्काल जांच ओर कारवाई का लिखित पत्र मिलनेपर अनसन समाप्त किया गया।
०७/०४/२०२१ को जांच समिति के अधिकारी टेकेपार में पूछताछ करने आए और ग्राम पंचायत में बैठकर पूछताछ की। हालांकि, वे अनसन कर्ता को कोई पूर्व सूचना दिए बिना पूछताछ के लिए गए और उपवास करने वाले की अनुपस्थिति में पूछताछ कर चले गए।
पत्र क्र.भंजिप/मगरारोह्यो/आस्था 719/2021 के अनुसार जांच समिति और उप-जिला कार्यक्रम समन्वयक मगरारोह्यो जीप भंडारा का पत्र संख्या दिनांक 08/04/2021 और 16/04/2021 को नियोजित जांच समिति टेकेपर (माडगी) पूछताछ करने आई थी। जांच अधिकारियों ने न तो ग्रामीणों की सुनी और भ्रष्टाचार की उचित जांच किए बिना ही चले गए। अनसन समाप्ती को 91 दिन बित जाने और चौकशी हुये 65 दिन हो जाने के बाद भी अब तक कोई जांच रिपोर्ट नहीं मिली और न ही दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई है। इससे पता चलता है कि सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बजाय भ्रष्टाचार को बढावा देने की कोशिश कर रही है।
केंद्रीय मानवाधिकार संगठन, नई दिल्ली ने चेतावनी दी है कि, यदि जांच की रिपोर्ट और उस पर की गयी कारवाई सात दिनों के भीतर संगठन के कार्यालय को प्राप्त नहीं होती है, तो दोषियों को सजा मिलने तक आमरण अनशन जारी रहेगा और अगर जिला प्रशासन की लापरवाही से अनसन कर्ता को कुछ होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला कलेक्टर साहब, मुख्य कार्यपालन अधिकारी साहेब और पुलिस अधीक्षक साहेब भंडारा की होगी।
शिकायत दर्ज कराते हुए केंद्रीय मानवाधिकार संगठन के महाराष्ट्र राज्य प्रभारी डॉ. देवानंद नंदागवली, विदर्भ सचिव महेंद्र तिरपुड़े, मंगेश हुमने, कास्ट्राईब कर्मचारी कल्याण महासंघ के राज्य उप महासचिव सूर्यभान हुमने, हरिश्चंद्र धांडेकर, संयुक्त लोकशाही आघाडी के अचल मेश्राम, बुद्धिस्ट युथ फोर्स के शशिकांत देशपांडे, सरपंच सेवा संघ के नासिकभाऊ चौरे, वंचित बहुजन आघाडी के रंजीत कोल्हटकर, संगठन के रमेश यावलकर , भीमराव बंसोड, नागरतन रंगारी, सोपान रंगारी, हेमाताई गजभिये, अनिल चचाने आदि उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here