*स्टैचू ऑफ लिबर्टी के साथ स्टैचू ऑफ रिस्पांसिबिलिटीज का निर्माण किया जाए तो व्यक्ति अपने स्वयं के मानवाधिकारोके साथ- साथ दूसरों के स्वतंत्रताकाभी सम्मान करता हैं*- *केंद्रीय मानवाधिकार संगठन नई दिल्ली के जलगांव शाखा तथा शिवचरण उज्जैन कर फाउंडेशन मुक्ताईनगर इनके संयुक्त विद्यमान से आयोजित व्याख्यान सत्र में श्रीमती अंजलि धानोरकर* *उप-जिलाधिकारी औरंगाबाद इनका प्रतिपादन*
*जलगाव से हमारे प्रतिनिधी प्रा. राजकुमार कांकरिया*-
केंद्रीय मानवाधिकार संगठन नई दिल्ली के जलगांव शाखा तथा शिवचरण उज्जैनकर फाउंडेशन मुक्ताईनगर इनके संयुक्त विद्यमान से आयोजित *व्याख्यान सत्रका *आठवां पुष्प “*मानवाधिकार, प्रशासनिक अधिकारी एवं हम” इस विषय पर श्रीमती अंजलि धानोरकर उप- जिलाधिकारी औरंगाबाद इनके द्वारा *रविवार 13 जून 2021* को रखा गया।
उपस्थित सभी को मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने कहा मनुष्य जब जन्म लेता है कभी उसके मानव अधिकारों का जन्म होता है। हम सभी मानव समाज का अविभाज्य घटक है, इस नाते समाज में होने वाले छोटे-मोटे अन्याय एवं अत्याचारों के प्रति भी हमें जागरूक रहना चाहिए।
डॉ बाबासाहेब अंबेडकर इनके सूचक विधान की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि, अन्याय करने वालेसे ज्यादा अन्याय सहन करने वाला गुनाहगार होता है। समाज में रहनेवाले सज्जनों का मौन दुर्जनोको को बल प्रदान करता है। अगर अन्याय एवं अत्याचार के खिलाफ कोई भी आवाज उठाने के लिए तैयार नहीं तो हमें खुद को पहल करनी चाहिए। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर इनका एकला चलो रे….. इस कविता का भी जिक्र इस संदर्भमे उन्होंने किया।
अपने मार्गदर्शन में उन्होंने अनेक उदाहरणों के साथ समाज में फैली बुराइयां, स्त्री- शोषन, बाल अत्याचार
इनके खिलाफ आवाज उठाने का आवाहन उन्होंने सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को किया।
इतिहास में मौजूद अनेक उदाहरणों का दाखिलाभी उन्होंने दीया। द ग्रेट साइरस (ईसा पूर्व 585) इन्होंने युद्धजीतने के बाद सारे गुलामोंको बंधन मुक्त कर दिया और उन्हें सही मायने में मानव अधिकार प्रदान कीए। 1968 में शांति का नोबेल पारितोषिक प्राप्त श्रीमान रेन केसीन इनके मानवाधिकारों के बारे में किए गए उल्लेखनीय कार्यों का भी जिक्र उन्होंने किया। यूनिवर्सल ह्यूमन राइट डिक्लेरेशन के 35 मुद्दों कोभी उन्होंने संक्षेप में बताया।
“डॉग्स एंड इंडियंस आर नॉट अलाउड” ऐसे घृणास्पद अत्याचारों से प्रेरित होकर मोहनदास करमचंद गांधी उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत उखाड़ फेंकने का प्रण लिया। और स्वतंत्रता आंदोलन में सभी को गुलामगिरी के खिलाफ लड़ने में एकत्रित किया। तभी वे मोहनदास से महात्मा बने। ऐसे ही स्वतंत्रता आंदोलन में जिन्होंने अपना बलिदान दिया और मानवाधिकारों की रक्षा की स्वतंत्रता की रक्षा की ऐसे वीर क्रांतिकारियों का भी जिक्र उन्होंने अपने संबोधन में किया।
अपने मार्गदर्शन के अंतमें उन्होंने केंद्रीय मानव अधिकार संगठन, नई दिल्ली द्वारा किए गए मानव सेवा एवं मानव अधिकारों के कार्यों की प्रशंसा की।
व्याख्यान के द्वितीय सत्र में केंद्रीय मानवाधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मिलिंद दहीवले इन्होंने मानव अधिकारों के क्षेत्र में आयोग द्वारा प्रकाशित पुस्तिकाओं का विविध भाषाओं में अनुवाद केंद्रीय मानव अधिकार संगठन नई दिल्ली द्वारा किया जा रहा है इसकी जानकारी दी।
यहां सब साहित्य प्रशासनिक सेवा का अभ्यास कर रहे अभिभावकों के लिए बहुत ही उपयोगी है ऐसा प्रतिपादन उन्होंने किया। श्रीमती धानोरकर इनको श्री दहीवलेने केंद्रीय मानव अधिकार संगठन के विविध कार्योंसे अवगत कराया।
कार्यक्रम का प्रास्ताविक जलगाव जिला अध्यक्ष डॉ अजय पाटील इन्होंने किया तथा सूत्रंसंचलन प्रा राजकुमार कांकरिया जलगाव जिला सचिव इन्होंने किया|
अखिर मे आभार प्रदर्शन संघटन के राष्ट्रिय सचिव डॉ शिवचरण उज्जैनकरजी ने कियाl उन्होंने श्रीमती अंजली धानोरकर मॅडम एवं उपस्थित सभी पदाधिकारीओका धन्यवाद व्यक्त किया|
इस कार्यक्रम के यशस्वी आयोजन हेतु जलगांव जिला अध्यक्ष डॉ अजय पाटिल, उत्तर महाराष्ट्र के अध्यक्ष श्री संजु भटकर, उत्तर महाराष्ट्र के संपर्क प्रमुख श्री राजेश पोद्दार, उत्तर महाराष्ट्र महासचिव श्री जगदीश सूर्यवंशी, पदाधिकारी श्री भागवत सेठ राठौड़, जलगांव जिला संपर्क प्रमुख श्री ईश्वर महाजन, जलगांव जिला सचिव डॉ प्रशांत बडगुजर, जलगांव तहसील अध्यक्ष श्री किशोर पाटिल, सचिव श्री अजय पाटिल, उपाध्यक्षा श्रीमती ज्योति राणे , महिला संयोजिका डॉ नयना झोपे, मुंबई जिला अध्यक्ष श्री सुभाष कोली, बुलढाणा जिला अध्यक्ष श्री एसके पाटिल, बुलढाणा जिला सचिव श्री गजानन करें, संपर्क प्रमुख श्री प्रवीण क्षीरसागर, बुलढाणा जिला उपाध्यक्ष श्री अमित कुमार तायड़े , पदाधिकारी श्रीमती शीतल इटे, श्रीमती रेखा कस्तुरे, श्री सुनील मूधोकार, खामगांव तालुका कार्याध्यक्ष श्री शिवम टेभे आदि मान्यवरओका सहभाग एवं उपस्थिति प्राप्त हुई।